लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन भाग 2
मेरा बाप मेरा दुश्मन ( भाग 2 )
तान्या ने अपने साथ घटित हुई घटना की जानकारी विशाल को दी और रोते हुए बोली,," विशाल हम दौनौ इस जन्म में एक नहीं हो सकते है। अब हमें एक होना है तो जल्दी ही कुछ करना होोगा।यदि हम हाथ पर हाथ रखकरर बैठे रहेे तो हम कुछ नहीं कर पायेंगे। और हमें एक दूसरे को भूलना हीी होगगा।
विशाल बोला," नहीं तानी हमें एक हौने से कोई नहीं रोक सकता है। इसके लिए हमें कुछ भी करना पडे़। हम इसके लिए किसी वकील का सहाारा लेकर कोर्ट जायेेगे।""
तान्या बोली " कोर्ट जाने के लिये जेब भीी भाारी होनी चाहियेे। नहीं विशाल यह इतना आसान नहीं है जितना तुम समझ रहे हो । इसके लिए हमें बहुत बलिदान देना होगा। क्या ऐसा करने की हिम्मत है तुम्हारे अन्दर है ? "
विशाल बोला ," तानी जिस हिम्मत की तुम बात कर रही हो वह होती नही परन्तु बक्त पर स्वयं आजाती है। "
तान्या आगे बोली," इसका मतलब हमें भागकर शादी करनी होगी ?"
"हाँ तुमने सही सोचा है इसके अलावा और कोई उपाय भी तो नही है। यदि हम ऐसा नही कर सकते है तो हम दौनौ को अपने प्यार का बलिदान करना होगा और अरेन्ज मैरिज करके अपना घर बसा ना होगा।" विशाल ने जबाब दिया।
"नहीं विशाल हम भाग कर कहाँ जायेगे। मै ऐसा नहीं कर सकूँगी। कोई और रास्ता निकालने की कोशिश करो। मेरी बात काान खोलकर सुुनलो मैं भागकर शादी कभी नहीं करूँगी यह मेरा अंतिम फैसला है। इसके लिये तुम बुरा मानो वह तुम्हाारी मरजी है। लेकिन मै ऐसा कभी नहीीं करूँगी । क्यौकि तुम तो पुरुष हो तुमसे कोई कुछ नहीीं कहेगा मेरेे कितने नाम रखे जायेंगेे क्या कभी सोोचा है? कोई बदचलन कहेगा तो दूसरा वैश्या बोलेेगा।" तान्या परेशान होती हुई बोली।
" मुझे तो और कोई रास्ता नजर नहीं आरहा है " विशाल ने उत्तर दिया।
" ऐसा मत कहो कोई तो आईडिया सोचो ।" तान्या बोली।
उधर तान्या की मम्मी अपने पति से बोली " देखो मैं आज आपको समझा रही हूँ तान्या की शादी बहुत शीघ्र करदो । लड़की हाथ से निकल गयी तो मुझसे शिकायत मत करना।"
" ऐसा क्या होगया जो तुम आज इस तरह बहकी बहकी बातें कर रही हो । मै लड़का देख रहा हूँ ।कोई ढंग का घर मिलते ही उसके हाथ पीले कर दूँगा। ", तान्या के पापा ने जबाब दिया।
" मैने तो आपको समझा दिया है क्यौकि मुझे उसके हालात सही नजर नहीं आरहे है। मुझे दोष मत देना। कल कोई हादसा होगया मैं इसकी जिम्मेदार नहीं होोगी।" तान्या की मम्मी बोली।
" तुम पहेलिया क्यौ बुझा रही हो जो बात है साफ क्यौ नही कहती हो।" तान्या के पापा ने अपनी पत्नी से पूछा।
"मैने उसे किसी विशाल नाम के लड़के से बात करते देखा था पूछातो बात को टाल गयी।लड़की अपनी है जवान है ज्यादा डाँट भी नही सकते है कल को कुछ उल्टा सीधा करले तो अपनी जान को परेशानी होगी और बदनामी अलग से होगी।" वह अपने पति को समझाते हुए बोली।
"तुम ठीक कहरही हो शीतल । आजकल के बच्चौ को डाँटना भी बहुत कठिन है। क्या जमाना आगया? हमारे समय में में बाप के सामने जवान भी नहीं निकलती थी।", वह कहते हुए परेशान हौने लगे।
"आप अभी से इतने परेशान क्यौ होरहे हो। हम और आप कुछ नही कर सकते है जो विधाता ने लिखा है उसे कोई नही टाल सकता है। अब रात बहुत होगयी है सो जाओ।" शीतल ने अपने पति को समझाया।
"शीतल अब तुमको भी उस पर नजर रखनी होगी वह कहाँ जाती है किससे बात करती है इन सब बातौ का ध्यान रखो। उसके हर कदम की जाानकारी रखनी होगी।", वह अपनी पत्नी को समझाते हुए बोले।
तान्या के पापा ने उसकी शादी के लिए कितने ही लड़के देख लिए ओर व उनको एक लड़का पसन्द भी आगया और वह उसको फाइनल करने के लिए तैयार होगये।
और उन्हौने जब यह बात तान्या को बताई तब उसकी परेशानी और अधिक बढ़ गयी।
तान्या ने चुपके से फौन करके विशाल को पूरी बात बताई और आगे क्या करना है यह भी स्पष्ट पूछा।
विशाल का एक दोस्त अरनव मुम्ब्ई में रहता था उसने अपने दोस्त को फौन करके पूरी कहानी समझाई और सहायता माँगी।
उसके दोस्त ने पहले तो इस तरह भाग कर आने से मना किया ।उसको समझाने की कोशिश की परन्तु विशाल के द्वारा बार बार कहने पर उसने अपने साथियौ से बात की क्यौकि वह एक फ्लैट में अन्य दो साथियौ के साथ रहता था।
इस लिए उसके दोस्त अरनव ने अपने दोस्तौ से बात करके उसको आने के लिए बोल दिया।
अब विशाल ने अपने नाम से दो नयी सिमौ का इन्तजाम किया क्यौकि वह जानता था कि कब पुरानी सिम की लोकेशन से उनका पकडा़ जाना निश्चत है।
विशाल ने ही दो टिकट भी बुक करवा ली । विशाल ने भागकर जाने की पूरी तैयार करली।
और एक निश्चित दिन को दौनौ अपने घर वालौ को बहाना बनाकर भाग लिए। जब तक उन दौनौ के घरवालौ को खबर हुई तब तक वह दौनौ ट्रैन में बैठ चुके थे।
विशाल ने दौनौ के मोवाइल की पुरानी सिम निकालकर तोड़कर फैक दी। तान्या को भागकर जाने का बहुत दुःख होरहा था। वह भागने से पहले अपने मम्मी पापा के नाम से एक खत भी लिखकर छोड़कर आई थी।
जब उनको वह खत मिला तब उनको विश्वास होगया कि अब वह हमारे नाम को बदनाम करके चलीगयी। अब इससे तो बदनामी ही होगी।
तान्या के मम्मी पापा को बहुत बडा़ सदमा लगा उन दौनौ ने घर से बाहर निकलना बन्द कर दिया। वह किसीसे बात करने लायक नही रहे थे।
कुछ दिन बाद उन दौनौ ने जहर खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त करली।
नोट:- कृपया आगे की कहानी भाग 3 में पढि़ ये कहानी कैसी लगी कृपया अपनी समीक्षा अवश्य देने का कष्ट करे।
धन्यवादजी।
कहानीकार प्रतियोगिता हेतु रचना ।